शुक्रवार, 6 जुलाई 2018

जिसके मत्थे होवे पग उसके कदम न होवे डगमग

भज्जी पाजी में क्रिकेट का जुनून देख कर उनके पिता ने एक नई दिशा दी और एकेडमी में एडमिशन करवा दिया अपनी माँ का लाडला अपने सपनो के करीब जाने लगा लेकिन माँ की याद अकसर उसे घर खीच लाती थी एक बार तो भज्जी एकेडमी से भागने की कोशिश की ओर क्रिकेट की ये खुशनसीबी है कि उस दिन घर जाने के लिए उसे ऑटो नही मिला भज्जी की मेहनत माँ की दुआएं ओर पिता का हौसलाअफजाई का असर साल 1998 का वो भी दिन ले आया जो बाप बेटे दोनो की आखों में आंसू ले आया पंजाब के हरभजन सिंह को भारतीय क्रिकेट टीम में सेलेक्ट किया गया जिसके मत्थे होवे पग उसके कदम न होवे डगमग ओर देखते ही देखते ultimate चैंपियन बना भज्जी हरभजन सिंह अपने घर मे पाँच बहनो में अकेले भाई थे कैप्टन सौरव गांगुली हरभजन सिंह को मैच विनर प्लेयर कहते है जालंधर में पैदा हुए हरभजन सिंह 13 साल की उम्र में बोलिंग शुरू की पहले ये पंजाब की क्रिकेट टीम में थे हरभजन सिंह को पहली बार चांस मिला जब इन्हें पंजाब की टीम विजय मर्चेंट ट्रॉफी के लिए सेलेक्ट किया गया इस टूर्नामेंट में हरभजन सिंह में 32 विकेट लिए जब भज्जी को रणजी ट्रॉफी में मौका मिला तो पहले मैच में 3 ओर दूसरे मैच में 5 विकेट लिए फिर इन्हें इंडिया अंडर 19 टीम में सेलेक्ट किया गया साउथ अफ्रीका भेजा गया 20 वर्ष की उम्र में हैट्रिक बनाने वाले पहले इंडियन बॉलर बने

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